Asarsaar News Desk
जाग्रत मिश्र ब्यूरो सीतापुर
मानवीय एकजुटता की बुनियाद सिर्फ प्रेम, मुहब्बत भाईचारे से डाली जा सकती है: डाॅ0 रिजवान
सिधौली/सीतापुर। आज देेश के भीतर सांप्रदायिकता फन उठाये हुए खड़ी है। जिसने इंसानियत के सामने संकट पैदा कर दिया है। देश की मुश्तरका संस्कृति को बचाये रखने के लिए इस फन को कुचला जाना आवश्यक है। जब तक हिन्दू मुस्लिम के बीच साम्प्रदायिकता व दंगे के बीज विद्यमान रहेंगे तब तक दोनों समुदायों में एकजुटता नहीं पैदा होने वाली है। मानवीय एकजुटता की बुनियाद सिर्फ प्रेम, मुहब्बत भाईचारे से डाली जा सकती है।
यह बात नफरत एवं हिंसा के खिलाफ मानवीय एकता संगठन के बैनर तले आयोजित क्रांतिकारी गणेश शंकर विद्यार्थी की शहादत समारोह को सिधौली स्थित शहीद स्मारक के पास संबोधित करते हुए वक्ता डाॅ0 रिजवान अंसारी ने कही। उन्होंने आज के हालात पर मिलती जुलती हुई मशहूर शायर कैफी आज्मी की एक मशहूर नज्म “ सांप ” सुनाई: यह सांप आज जो फन उठाये हुए मेरे रास्ते में खड़ा है। अंत में इन पंक्तियों को काफी दाद मिली - ये हिन्दू नहीं है। मुसलमां नहीं, ये दोनों का मग्ज और खूं चाटता है। बने जब ये हिन्दू मुसलमान एकसां, उसी दिन ये कमबख्त मर जायेगा।"
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार भगवती प्रसाद अग्निहोत्री ने गणेश शंकर विद्यार्थी जी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका अनुकरणीय व्यक्तित्व था। विद्यार्थी जी पत्रकार, अविस्मरणीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, गंगा जमुनी तहजीब के नायक और विलक्षण समाजसेवी थे। उनका सिद्धांत सर्वमान्य सिद्धांत था। उनका घर क्रांतिकारियों और अहिंसावादियों का समान रूप से शरण स्थल था। अंग्रेजों के खिलाफ प्रायः आवाज उठाने वाले विद्यार्थी जी को प्रायः जेल जाना पड़ता था, तब उनके अखबार का संपादन माखनलाल चतुर्वेदी और बालकृष्ण शर्मा नवीन किया करते थे। 23 मार्च 1931 को लाहौर की जेल में देश के तीन नवजवानों शहीदे आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी दे दी गई। इसके बाद अंग्रेज हुकूमत की शह पर नफरत भरी अफवाहों के जरिये हिन्दू मुसलमानों को बांटा जाने लगा। इस कवायद से कानपुर धू-धूकर जलने लगा। सांप्रदायिक हिंसा की भीषण आग को बुझाने के दौरान कुछ उदण्ड दंगाइयों ने विद्यार्थी जी को चाकू से गोदकर मार ड़ाला।
मानवीय एकता दिवस पर विचार व्यक्त करते हुए पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष आर0पी0 गौतम ने कहा कि विद्यार्थी जी का जीवन सदैव प्रेरणास्पद रहेगा। उन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। पूर्व बार अध्यक्ष रामपाल भार्गव ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी ने साहित्य और पत्रकारिता के माध्यम से जनचेतना में हुंकार भरी। पूर्व बार अध्यक्ष सिधौली जयकरन सिंह यादव ने कहा कि सांप्रदायिक एकता और मानववादी मूल्यों की रक्षा के लिए विद्यार्थी जी का बलिदान हुआ। एडवोकट रामप्रकाश यादव ने कहा कि विद्यार्थी जी ने #प्रताप अखबार के जरिए अंग्रेज शासकों के अत्याचारों का विरोध किया।
बार एसोसिएशन के महामंत्री रामचन्द्र मिश्र ने कहा कि मुझे विद्यार्थी जी पर नाज है उनका संदेश था कि " जिसको न निज गौरव तथा निज देश पर अभिमान है। वह नर नहीं, नर-पशु निरा है, और मृतक समान है। "
कार्यक्रम को जुंधौरा के प्रधान वीरेन्द्र गौतम, सामाजिक कार्यकर्ता रामबख्श राव, स्तंभकार व स्वतंत्र लेखक बुद्धप्रकाश, सामाजिक चिंतक एवं कवि देवेन्द्र कश्यप, अनुराग आग्नेय आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर शिवेन्द्र कुमार मिश्र, सुरेन्द्र कुमार, पन्नालाल, रमेशचन्द्र मिश्र, अनुज भारती, इकरार, सत्यप्रकाश शुक्ल, कल्लूराम, महावीर सिंह, देवेन्द्र अग्निहोत्री प्रांशू, आशिक अली सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे। कुशल संचालन बुद्धप्रकाश ने किया।
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