सारिका मिश्रा महिला एवं बाल कल्याण समिति द्वारा हुआ बृक्षारोपण

Asarsaar News Desk

विजय तिवारी 
रिपोर्ट 
सारिक मिश्रा महिला एवं बाल कल्याण समिति द्वारा पर्यावरण बचाने के लिए वृहद बृक्षारोपण किया विदित हो की सारिका मिश्रा मुकेश मिश्रा की पत्नी है जिनकी हत्या हो गयी थी पर अभी न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खा रही है 
आखिरकार कब मिलेगा सारिका मिश्रा की पति को न्याय प्रदेश सरकार जहां एक और नारी सशक्तिकरण , महिला सम्मान, महिला सुरक्षा, की बात करती है वहीं दूसरी ओर सरकार की यह सारी बातें सिर्फ कहने तक ही सीमित दिखाई देती है । यदि सरकार की उपलब्धियों को जमीनी स्तर पर देखें तो सब की सब हवा-हवाई होती नजर रही हैं आज के एक साल पहले लखनऊ जानकीपुरम निवासी सारिका मिश्रा के पति को बदमाशों के द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी थी उन को न्याय दिलाने के लिए आज 1 साल से दर-दर की ठोकरें खाती फिर रही है सारिका मिश्रा हजारों प्रयास करने के बावजूद भी उसे कहीं पर भी न्याय नहीं मिला सका । जबकि हद तो तब हो गई सारिका मिश्रा को न्याय दिलाने के बजाय जब उसी पर शक कर के उसे बहुत तरीके की यातनाएं दी गई और यहां तलक की उस पर कई तरीके के आरोप लगाकर उसके उसका मुंह बंद करने का प्रयास किया गया। फिर भी असहाय नवविवाहिता शोषित सारिका मिश्रा अपने स्वर्गीय पति को न्याय दिलाने के लिए प्रयास कर रही है अब देखना यह है कि इस सुबे की अंधेर नगरी में क्या उसे न्याय मिलेगा या यह मर्डर मिस्ट्री बनकर रह जाएगा ।
आपको बताते चलें लखनऊ के जानकीपुरम निवासी
दवा व्यवसाई मुकेश मिश्रा हत्याकांड एक मर्डर मिस्ट्री बनकर रह गया आज के एक साल पहले 27 जुलाई 2017 को दवा व्यवसाई मुकेश मिश्रा मेडिकल स्टोर बंद कर दो रात करीब 11:00 बजे घर लौट रहे थे ।तभी रास्ते में बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर चलते बने जिससे मुकेश मिश्रा के सर में गोली लगी और मानसिक संतुलन खोने से गाड़ी डिवाइडर से टकराकर चकनाचूर हो गई जिसे पुलिस ने शुरुआत में एक रोड एक्सीडेंट बता कर खत्म करना चाहा जब मुकेश मिश्रा इलाज के दौरान सिर के सीटी स्कैन से पता चला उनके सर में गोली लगी है तब पुलिस के पैरों तले जमीन खिसक गई और आज तक मुकेश मिश्रा की हत्या का खुलासा नहीं हो सका और आज भी मुकेश मिश्रा के हत्यारे हैं खुलेआम घूम रहे है। और हद तो तब हो गई जब पुलिस ने नवविवाहिता सारिका मिश्रा को न्याय दिलाने के बजाय उसी पर शक की दृष्टि से देखा गया 
उस का नारको टेस्ट किया गया । जिसमें बहुत ही नशीली दवाई दी गई और और लगभग 2 घन्टे तक होश नही आया और एक हफ्ते तक बदहवास अवस्था में रही चीखती चलाती रही की उसकी तरह उसके परिवार का नारकोटेस्ट क्यो नही हुआ वह सवाल आज भी बना हुआ है कि परिवार वालो का नायकोटेस्ट सही है या नहीं इस प्रश्न का जबाब भी किसी के नहीं है आखिर परिवार का नारकोटेस्ट ही हुआ और सारिक का नारकोटेस्ट के साथ ब्रेन मैपींग के साथ पांलीग्राफी हुई बाकी परिवार का ब्रेन मैपींग ,पॉलीग्राफी क्यो नही हुआ यह कहना सारिक मिश्रा का है। 
आज पूरा एक साल पूरा होने के बावजूद भी सारिका मिश्रा अभी तक कोई न्याय नहीं मिला
क्या यह वर्तमान शासन व्यवस्था पर सवाल खड़ा होता है? सूबे की राजधानी में सबसे व्यस्ततम जगह पर मर्डर हुआ और पुलिस की शुरुआती हिला हाली से अपराधी बच निकले क्या अब अपराधियों का आत्मविश्वास सातवें आसमान होगा आज भी सारिका मिश्रा अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है और सारिका मिश्रा उस अबला की पति को न्याय दिलाने के लिए किए गए सभी प्रयासों को पूरी तरह से विफल हो जा रहे। और सरकार कहती है बेटी बचाओ अखिर किस लिए ?

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